Ficus Religiosa (Peepal) Abode of God

Ficus Religiosa is sacred in Indian tradition, and is also called the Deva tree. It is also known as Bodhi tree. 

In Buddhism, this is important because Buddha attained enlightenment under the Bodhi tree and is revered in various cultures. At its root is Brihama, Vishnu in the middle and Lord Shiva in the back is believed to be the abode, that's why that’s why it is worshiped. Burning or cutting of this tree is prohibited in North India, although its wood has special significance in worship.

Peepal tree provides oxygen round the clock and purifies the surrounding environment. In traditional medicine, it is beneficial in treating many types of disorders like asthma, dysentery, arthritis, boils and pimples etc. Leaves, bark, and fiber are used for fodder, dye, tanning, and milk to seal something.  


Peepal trees give us shade and shelter as well as a pure atmosphere, reflecting their unique aesthetic and cultural significance. Let us pledge to revive our surroundings with peepal trees. They can be planted in every area where open areas are available. Can be placed on both sides of the national highways so that the passengers can get accommodation. Read More…  

भारतीय परंपरा में पीपल के पेड़ को पवित्र माना जाता है और इसे देव वृक्ष भी कहा जाता हैं । इसे बोधि वृक्ष के नाम से भी जाना जाता है। बौद्ध धर्म में, यह महत्वपूर्ण है क्योंकि बुद्ध ने बोधि वृक्ष के नीचे ज्ञान प्राप्त किया और यह विभिन्न संस्कृतियों में प्रतिष्ठित है। इसीलिए इसकी पूजा की जाती हैं। उत्तर भारत में इस पेड़ को जलाना या काटना वर्जित हैं, हालांकि पूजा में इसकी लकड़ियों का विशेष महत्व हैं।    

पीपल का वृक्ष चौबीस घंटे ऑक्सीजन प्रदान करता है और आसपास के वातावरण को शुद्ध करता है। पारंपरिक चिकित्सा में, अनेक प्रकार के विकारों जैसे अस्थमा, पेचिश, गठिया, फोड़े और मुंहासे आदि का इलाज करने में यह फायदेमंद है। पत्तियों, छाल और फाइबर का उपयोग चारा, डाई, टैनिंग के लिए किया जाता है, और दूध का उपयोग किसी चीज को सील करने के लिए किया जाता हैं।  

पीपल के पेड़ हमें छाया और आश्रय के साथ-साथ एक शुद्ध वातावरण प्रदान करते हैं, जो उनके अद्वितीय सौंदर्य और सांस्कृतिक महत्व को दर्शाता हैं। आइए हम प्रण ले की अपने आसपास के वातावरण को पीपल के पेड़ों के साथ पुनर्जीवित करें। उन्हें हर उस क्षेत्र में लगाया जा सकता है जहां खुला क्षेत्र उपलब्ध हैं । राष्ट्रीय राजमार्गो के दोनों तरफ लगाया जा सकता हैं जिससे यात्रियों को छावं मिल सके।  


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