Tomorrow Never Comes
Years ago a man named "Hathi" was living my neighboring village. He was very strong in physical. There were no public transport that time nor do the people have money to afford.
One day "Hathi" went to see some of his relatives around twenty miles away. While coming back to home he saw a heavy stone used for mixing & grinding home construction material. He planned to carry it to his village. So he lifted it on his shoulder and brought to his village.
Near to his house there was a Panchyat Ghar. Lot of aged people sit there in the evening for "Hooka." When he was passing through they called him asked for "Hooka." Saying that he is coming from a long distance and have some water and rest. Tomorrow will place it at the right place. Hathi urged them to place the stone at the right place but they stopped him doing so.
That stone remained there. In 1985 Government launched a scheme to lay down stone in the streets of the villages. Then this stone came in between. No one could remove it even tractor could not drag it. Finally it was broken into parts and removed. Everyone remembered the man who alone brought it from 20 miles away. Read More...
सालों पहले "हाथी" नाम का एक आदमी मेरे पड़ोसी गाँव में रह रहा था। वह शारीरिक रूप से बहुत मजबूत था। उस समय कोई सार्वजनिक परिवहन नहीं था और न ही लोगों के पास पैसा था।
एक दिन "हाथी" बीस मील दूर अपने कुछ रिश्तेदारों को देखने गया। घर वापस आते समय उसने कि एक भारी पत्थर देखा, जिसका उपयोग घर की निर्माण सामग्री को मिलाने और पीसने के लिए किया जाता है । उसने इसे अपने गाँव ले जाने की योजना बनाई। इसलिए उसने उसे अपने कंधे पर उठा लिया और अपने गाँव ले आया।
उनके घर के पास ही एक पंचायत घर था। बहुत से वृद्ध लोग शाम को "हुक्का" पीते थे। जब वह वहां से गुजर रहा था तो उन्होंने उसे "हुक्का" पीने के लिए कहा यह कहते हुए कि वह बहुत दूर से आ रहा है और थोड़ा पानी पी ले और आराम कर ले । कल इसे सही जगह पर रख देंगे। हाथी ने उनसे पत्थर को सही जगह पर रखने का आग्रह किया लेकिन उन्होंने उसे ऐसा करने से रोक दिया।
वह पत्थर वहीं रह गया। 1985 में सरकार ने गांवों की गलियों में पत्थर बिछाने की योजना शुरू की। फिर यह पत्थर बीच में आ गया। कोई भी इसे हटा नहीं सकता था यहां तक कि ट्रैक्टर इसे खींच नहीं सका । अंत में इसे भागों में तोड़ दिया गया और हटा दिया गया। हर कोई उस आदमी को याद कर रहा था जो अकेले इसे 20 मील दूर से लाया था।
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