Me and my status
I
was sitting in the courtyard of my house taking sips of morning tea. There was
a newspaper on the table in front. It was the day of Holi. There was excitement
among the people. I had a good status in the town. I was living for the last
two years and was working in a high position.
The
phone rings. I had to go out from work. When I got out of the house, I saw that
the color of Holi was at its peak all around. Somewhere red, somewhere yellow,
somewhere the capillary color is being applied, somewhere people are hugging
each other, somewhere dancing. No one was left out without colors.
But
nobody dared to stop looking at me. They are big men, don't mind and it was
natural for me to have an important face. It was far away to putting color on
me, Nobody even touched me from the beginning of the house till I came back
home.
Came
home and sat in the same chair and got lost in the thoughts of the road. The
colorful scenes of the road are coming in front of my eyes one by one, suddenly
I feel that I am the most isolated in the town. Read More...
मैं अपने घर के आँगन में बैठकर
सुबह की चाय की चुस्कियां ले रहा था। सामने मेज पर अखबार पड़ा था। आज होली का दिन था
इसलिए लोगों में उमंग भरी हुई थी। कस्बे में मेरी अच्छी हैसियत थी। मैं
यहाँ पिछले दो साल से रह रहा था और एक उच्च पद पर काम कर रहा था।
फोन की घंटी बज उठती हैं। मुझे
जरुरी काम से बहार जाना पड़ा। घर से बाहर निकला तो देखा, चारों तरफ होली का रंग अपने
निखार पर था । कहीं लाल, कहीं पीला, कहीं केशरिया रंग लगाया जा रहा था। कहीं लोग आपस
में गले मिल रहे थे, कहीं नाच रहे थे । किसी को बिना रंगे छोड़ा नहीं जा रहा था ।
लेकिन मुझको देखकर किसी में
मुझे रोकने की हिम्मत नहीं हुई। मेरे चेहरे पर एक अहम का भाव आना स्वभाविक था । घर
से निकलने से लेकर घर वापस आने तक रंग लगाना तो दूर किसी ने मुझे छुआ भी नहीं।
घर
आकर उसी कुर्सी पर बैठ गया और रस्ते के विचारों में खो गया। रास्ते के रंग-भरे दृश्य
एक-एक कर मेरी आँखों के आगे आने लगे । अचानक मुझे लगता है कि कस्बे में सबसे अलग-थलग
पड़ गया ।
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